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Arnanya Devi Temple Ara : आरण्य की अधिष्ठात्री – माता आरण्य देवी का अनादि स्वरूप

माता आरण्य देवी आदिदेवियों में से एक हैं। वे वन, जल, पर्वत, रात्रि और संध्या की शक्तियों का अद्वितीय समन्वय हैं। जो माता सती से पहले अस्तित्व में थीं, क्या वे शक्तिपीठ हो सकती हैं? आरण्य देवी का मंदिर अद्वितीय है और पूरे भारत में यह अकेला स्थान है।

सावन कुमार/आरा:  मां आरण्य देवी केवल एक देवी या प्रतिमा नहीं हैं। वे प्रतीक हैं, आरण्य का प्रतीक, प्रकृति की अभिव्यक्ति और वन्य जीवन की अधिष्ठात्री शक्ति। कुछ मान्यताओं के अनुसार मां आरण्य देवी शक्तिपीठ का एक अंश हैं, लेकिन इसके प्रमाण अत्यंत दुर्लभ हैं। वास्तविकता यह है कि जब बिना आधार के दावे स्थानीय स्तर पर स्वीकार कर लिए जाते हैं, तो राष्ट्रीय स्तर पर उनके पीछे ठोस प्रमाण की आवश्यकता होती है।

Spiritual Energy Maa Arnanya
Spiritual Energy Maa Arnanya

माता आरण्य का अस्तित्व अन्य शक्तिपीठ से भी अधिक प्राचीन है। वे माता सती से भी प्राचीन हैं, वायु, अग्नि, जल और इंद्र जैसे देवताओं से भी। आरण्य देवी का जन्म आरण्य शब्द की उत्पत्ति जितना पुराना है। वन ही वर्षा का आधार हैं और वन ही देवताओं के निवास स्थल। जैसे शिव का दारुक वन, गणेश का इक्षु वन, श्रीकृष्ण का तुलसी वन, हनुमान का कदली वन – वैसे ही आरण्य देवी का क्षेत्र और उनका अस्तित्व अनादि है। ऋग्वेद में अरण्यानी देवी का महिमामंडन भी मिलता है, और अरण्यानी सूक्त में उनकी शक्ति का वर्णन है।

माता आरण्य देवी कौन हैं? Who is Maa Arnanya Devi?

माता आरण्य देवी को समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि प्रकृति में देवी का स्वरूप कितना व्यापक है। जैसे कमला, शैलपुत्री, पार्वती, हिमवती, गिरजा आदि देवी आद्याशक्ति के विभिन्न रूप हैं, वैसे ही माता आरण्य देवी आदिदेवियों में से एक हैं। वे वन की, जल की, पर्वत की, रात्रि की और संध्या की शक्तियों का समन्वय हैं।

Goddess of Forest India Arnanya Devi
Goddess of Forest India Arnanya Devi

मां आरण्य देवी की प्रतिमा आरा में स्थापित है, और इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है कि यह कितनी प्राचीन है। कुछ लोग इसे पांडवों से जोड़ते हैं, तो कुछ श्रीराम से। परंतु ऐतिहासिक और पुरातात्त्विक संकेत बताते हैं कि आरण्य क्षेत्र (आरा) का अस्तित्व श्रीराम से भी पूर्व का है। उदाहरण स्वरूप, दंडकारण्य, नैमिषारण्य, चित्रकूट अरण्य, द्रोणाचल अरण्य, विंध्यारण्य, देवारण्य, आरण्य, सारण और चम्पारण आदि।

आरण्य और अरण्य में अंतर है। जहाँ अरण्य सामान्य वन को कहते हैं, वहीं आरण्य ( आरा) वह स्थान है जहाँ वेदांत का अध्ययन होता हो, ऋषि–मुनियों का निवास हो, और आध्यात्मिक साधना का केंद्र हो।

क्या आरण्य देवी शक्तिपीठ हैं? Is Arnanya Devi a Shaktipeeth?

जो माता सती से पहले अस्तित्व में थीं, क्या वे शक्तिपीठ हो सकती हैं? यह प्रश्न स्वतः उठता है। माता काली दक्षिणेश्वर, वैष्णो देवी, छिन्नमस्तिका जैसी शक्तिपीठों की तरह ही माता आरण्य देवी का मंदिर भी अद्वितीय है।

पूरे भारत में आरण्य देवी का यह मंदिर अकेला है, जहाँ माता की प्रतिमा स्थायी रूप से प्रतिष्ठित है।

सिद्धपीठ – हर साधना का केंद्र

माता आरण्य देवी इतनी ऊर्जा और शक्ति से परिपूर्ण हैं कि यहाँ की हर साधना सिद्ध होती है। जैसे छिन्नमस्तिका का मंदिर साधक के लिए अद्भुत शक्ति केंद्र है, वैसे ही आरण्य देवी का स्थान साधना, भक्ति और अनंत ऊर्जा का केंद्र है।

मां आरण्य देवी – प्रकृति, वन और शक्ति की अधिष्ठात्री, अनादि और अनंत, हर साधक के लिए आशीर्वाद और प्रेरणा का स्रोत हैं।

Kumarsawanara@gmail.com

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